हे युवा!




                          हे  युवा !


किस ओर बढ़ोगे, आज घोषणा कर दो।
  हे युवा! आज वसुधा को इतना वर दो।

 किस के बल पर, वसुधा श्रृंगार करेगी? 
किसकी भुजाओं पर अपना भार धरेगी?

 किस के दम पर इतिहास गढ़े जाएंगे?
 किस पर भविष्य के भार मढ़े जाएंगे?

 हे युवा! आज कुछ कहो, निंद से जागो।
 इस महापतन के पथ से बाहर भागो।

 हे अनलदेव! तु ही अग्नि बरसा दे।
 हर एक हृदय में फिर भुचाल मचा दे।

 सबके मन भर दे भगतसिंह सी भक्ति।
 सबके तन भर नेता सुभाष सी शक्ति।

                                  :- हरि  ओम  शर्मा  

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Comments

  1. Wow !!!Amesome Poem ..
    सर आप महान हो।
    --Shubham Raj 'Yuvi'

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  2. This poem really filled a fire within ...one of the greatest Poem by Hari om Sharma @bharti

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  3. For Motivation...Check here
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  4. आप सभी का धन्यवाद।

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