हे युवा!
किस ओर बढ़ोगे, आज घोषणा कर दो।
हे युवा! आज वसुधा को इतना वर दो।
किस के बल पर, वसुधा श्रृंगार करेगी?
किसकी भुजाओं पर अपना भार धरेगी?
किस के दम पर इतिहास गढ़े जाएंगे?
किस पर भविष्य के भार मढ़े जाएंगे?
हे युवा! आज कुछ कहो, निंद से जागो।
इस महापतन के पथ से बाहर भागो।
हे अनलदेव! तु ही अग्नि बरसा दे।
हर एक हृदय में फिर भुचाल मचा दे।
सबके मन भर दे भगतसिंह सी भक्ति।
सबके तन भर नेता सुभाष सी शक्ति।
:- हरि ओम शर्मा
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Wow !!!Amesome Poem ..
ReplyDeleteसर आप महान हो।
--Shubham Raj 'Yuvi'
This poem really filled a fire within ...one of the greatest Poem by Hari om Sharma @bharti
ReplyDeleteNice Bro..😉😘
ReplyDeleteThat was tremendous
ReplyDeleteFor Motivation...Check here
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jbardast line bhai
ReplyDeleteआप सभी का धन्यवाद।
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